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पूज्य बापूजी का पावन संदेश

 


        हम धनवान होंगे या नहीं, यशस्वी होंगे या नहीं, चुनाव जीतेंगे या नहीं इसमें शंका हो सकती है परन्तु भैया ! हम मरेंगे या नहीं इसमें कोई शंका है ? विमान उड़ने का समय निश्चित होता है, बस चलने का समय निश्चित होता है, गाड़ी छूटने का समय निश्चित होता है परन्तु इस जीवन की गाड़ी के छूटने का कोई निश्चित समय है ?

        आज तक आपने जगत का जो कुछ जाना है, जो कुछ प्राप्त किया है... आज के बाद जो जानोगे और प्राप्त करोगे, प्यारे भैया ! वह सब मृत्यु के एक ही झटके में छूट जायेगा, जाना अनजाना हो जायेगा, प्राप्ति अप्राप्ति में बदल जायेगी ।

        अतः सावधान हो जाओ । अन्तर्मुख होकर अपने अविचल आत्मा को, निजस्वरूप के अगाध आनन्द को, शाश्वत शांति को प्राप्त कर लो । फिर तो आप ही अविनाशी आत्मा हो ।

        जागो ... उठो ... अपने भीतर सोये हुए निश्चयबल को जगाओ । सर्वदेश, सर्वकाल में सर्वोत्तम आत्मबल को अर्जित करो । आत्मा में अथाह सामर्थ्य है । अपने को दीन-हीन मान बैठे तो विश्व में ऐसी कोई सत्ता नहीं जो तुम्हें उपर उठा सके । अपने आत्मस्वरूप में प्रतिष्ठित हो गये तो त्रिलोकी में ऐसी कोई हस्ती नहीं जो तुम्हें दबा सके ।

        सदा स्मरण रहे कि इधर-उधर वृत्तियों के साथ तुम्हारी शक्ति भी बिखरती रहती है । अतः वृत्तियों को बहकाओ नहीं । तमाम वृत्तियों को एकत्रित करके साधना-काल में आत्मचिन्तन में लगाओ और व्यवहार काल में जो कार्य करते हो उसमें लगाओ । दत्तचित्त होकर हर कोई कार्य करो । सदा शांत वृत्ति धारण करने का अभ्यास करो । विचारवन्त और प्रसन्न रहो । जीवमात्र को अपना स्वरूप समझो । सबसे स्नेह रखो । दिल को व्यापक रखो । आत्मनिष्ठा में जगे हुए महापुरूषों के सत्संग तथा सत्साहित्य से जीवन की भक्ति और वेदान्त से पुष्ट तथा पुलकित करो ।

- पूज्य संत श्री आशारामजी बापू

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