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                ऋषि आश्रम एक ऐसा पवित्र स्थान है, जहाँ आप आत्मानन्द का अनुभव व् गुप्त शक्तियों को जगा सकते हैं। वास्तव में यह आध्यात्मिक तपस्या स्थली है और निश्चित रूप से अनावश्यक गपशप का स्थान नहीं है। जाति या पंथ के हर संकीर्ण दृष्टिकोण को मिटाकर, यह ‘ब्रह्म-पद ‘ में स्थित करने वाली प्रयोगशाला है। वर्ष 1972 में, भारत के एक पवित्र व आत्म-अनुभवी संत, संत श्री आशारामजी बापू ने इसे अपने आध्यात्मिक अभ्यास, योग और भक्ति के माध्यम से एक-ऋषि-उद्यान’ के रूप में स्थापित किया था। कृपया मौन और आत्म-अनुशासन का व्रत रखकर इस पवित्र स्थान का लाभ उठाएं। यही मानव जीवन का सच्चा सार है ।