Type Here to Get Search Results !

शिष्य के प्रकार

शिष्य के प्रकार

  1. उत्तम शिष्य पेट्रोल जैसा होता है। काफी दूर होते हुए भी गुरु के उपदेश की चिंगारी को तुरंत पकड़ लेता है।
  2. दूसरी कक्षा का शिष्य कपूर जैसा होता है। गुरु के स्पर्श से उसकी अंतरात्मा जागृत होती है और वह उसमें आध्यात्मिकता की अग्नि को प्रज्ज्वलित करता है।
  3. तीसरी कक्षा का शिष्य कोयले जैसा होता है। उसकी अंतरात्मा को जागृत करने में गुरु को बहुत तकलीफ उठानी पड़ती है।
  4. चौथी कक्षा का शिष्य केले के तने जैसा है। उसके लिए किए गए कोई भी प्रयास काम नहीं लगते। गुरु कितना भी करें फिर भी वह ठंडा और निष्क्रिय रहता है।

    "हे शिष्य ! सुन। तू केले के तने जैसा मत होना। तू पेट्रोल जैसा शिष्य बनने का प्रयास करना अथवा तो कम-से-कम कपूर जैसा तो अवश्य बनना।"


    आप जब अपने गुरु के पवित्र चरणों की शरण में जाओ तब उनसे दुनियावी आवश्यकताएं या और कोई चीजें नहीं मांगना किंतु उनकी कृपा ही मांगना जिसके कारण आप में उनके प्रति सच्चा भक्ति भाव और स्थाई श्रद्धा जगे।

    गुरु ही मार्ग हैं, जीवन हैं और आखरी ध्येय हैं। गुरुकृपा के बिना किसी को भी सर्वोत्तम सुख प्राप्त नहीं हो सकता। 

* * *

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.